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Saturday, May 1, 2010

मेरी डायरी: गुरु गोविन्द दोऊ खड़े काको लागूं पायं...फ़िरदौस ख़ान

मेरी डायरी: गुरु गोविन्द दोऊ खड़े काको लागूं पायं...फ़िरदौस ख़ान

,"कला वही जो मन को छू ले,विकृत हो तो विकार तुम्हारा!"-तिलक

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