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आरंभ से ही रचनाकारिता मानव सभ्यता के विकास का मंत्र रही है.आज विध्वंस के आतंक के बीच फिर से रचनाकार को ढूँढता और उन्हें प्रोत्साहन हेतु है यह मंच. कृति,विकृति,आकृति,अनुकृति,मंचन,गायन,संगीत,चित्रकला,इन सब में "कला वही जो मन को छू ले,विकृत हो तो विकार तुम्हारा!".(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/ अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpanh पर इमेल/चैट करें 9911111611, 9654675533.

YDMS चर्चा समूह

बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :

Saturday, August 6, 2011

youtube/Desh bhakti ke Geet (8) & facebook Link.

स्वतंतरता दिवस के शुभ अवसर पर "देश  भक्ति  के  गीत" गाने, सुनने, अथवा गुनगुनाने का मन करे तो 
http://www.youtube.com/user/DoorDarpan/Desh bhakti ke Geet (8) देश  भक्ति  के  गीत - तिलक संपादक युग दर्पण 09911111611.

Tilak raj relan is available on Face Book,http://www.facebook.com/people/Tilak-Relan/100002369147267
https://www.facebook.com/profile.php?id=100002369147267
,"कला वही जो मन को छू ले,विकृत हो तो विकार तुम्हारा!"-तिलक

Tuesday, April 12, 2011

श्री राम नवमी की कोटि कोटि हिदू समाज सहित आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं.....

श्री राम नवमी की कोटि कोटि हिदू समाज सहित आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं.....
तिलक राज रेलन,  संपादक युग दर्पण , 09911111611
,"कला वही जो मन को छू ले,विकृत हो तो विकार तुम्हारा!"-तिलक